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श्रीवटुकभैरवो देवता बं बीजं ह्रीं शक्तिरापदुद्धारणायेति कीलकं

ॐ ह्रीं अन्नपूर्णा सदा पातु चांसौ रक्षतु चण्डिका ।

श्री कालभैरव अष्टक भगवान काल भैरव को समर्पित है। आद्य शंकराचार्य जी...

न देयं पर शिष्येभ्यः कृपणेभ्यश्च शंकर।।

नीलग्रीवमुदारभूषणशतं शीतांशुचूडोज्ज्वलं



इसका जप कवच से पहले और बाद में ११ या २१ बार करें ॥

इति श्रीहरिकृष्णविनिर्मिते बृहज्ज्योतिषार्णवे धर्मस्कन्धे

भुजङ्गभूषिते देवि भस्मास्थिमणिमण्डितः ।

चण्डिकातन्त्रसर्वस्वं check here बटुकस्य विशेषतः ॥ ४॥

धारयेत्पाठयेद्धपि संपठेद्वापि नित्यशः।।

कालाष्टमी के दिन करें बटुक भैरव कवच का पाठ, मनचाही सिद्धियों की होती है प्राप्ति

बटुक भैरव कवच का व्याख्यान स्वयं महादेव ने किया है। जो इस बटुक भैरव कवच का अभ्यास करता है, वह सभी भौतिक सुखों को प्राप्त करता है।

तत्र मन्त्राद्यक्षरं तु वासुदेवस्वरूपकम् ।

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